अनुलोम-विलोम कैसे करे? Anulom vilom kaise kare Puri janakri ?

अनुलोम-विलोम एक बहुत ही महत्वपूर्ण और लाभकारी प्राणायाम (सांस लेने का व्यायाम) है। इसे ‘नाड़ी शोधन प्राणायाम’ भी कहा जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह शरीर की 72,000 नाड़ियों (ऊर्जा चैनलों) को शुद्ध करता है। इस प्राणायाम में, हम अपनी नाक के एक नथुने (nostril) से सांस लेते हैं, और दूसरे नथुने से छोड़ते हैं, और फिर इसी प्रक्रिया को दूसरी तरफ से दोहराते हैं। यह अभ्यास शरीर में प्राण (जीवन ऊर्जा) के प्रवाह को संतुलित करता है और मस्तिष्क के दाएं और बाएं हिस्सों के बीच सामंजस्य स्थापित करता है।

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अनुलोम-विलोम करने से पहले की तैयारी (Preparation Before Starting)

इस प्राणायाम का अभ्यास करने से पहले, कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है। सबसे पहले, एक शांत, स्वच्छ और हवादार जगह चुनें जहाँ आप बिना किसी खलल के बैठ सकें। इसे करने का सबसे अच्छा समय सुबह खाली पेट होता है। यदि आप इसे शाम को कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आपके भोजन और अभ्यास के बीच कम से कम 3-4 घंटे का अंतर हो। आरामदायक सूती कपड़े पहनें और अभ्यास से पहले अपने मन को शांत करने का प्रयास करें।

Anulom vilom kaise kare

बैठने की सही मुद्रा (Correct Sitting Posture)

अनुलोम-विलोम के लिए सही मुद्रा बहुत महत्वपूर्ण है। किसी आरामदायक ध्यान मुद्रा में बैठें, जैसे कि सुखासन (पालथी मारकर), पद्मासन (कमल मुद्रा), या वज्रासन। यदि आप जमीन पर नहीं बैठ सकते, तो आप एक कुर्सी पर भी बैठ सकते हैं, लेकिन अपनी रीढ़ की हड्डी, गर्दन और सिर को बिल्कुल सीधा रखें। शरीर को अकड़ाए नहीं, उसे सहज रखें और अपनी आँखें कोमलता से बंद कर लें।

हाथों की मुद्रा (ज्ञान मुद्रा और प्राणायाम मुद्रा) (Hand Gestures)

इस प्राणायाम में दोनों हाथों की मुद्राएँ अलग-अलग होती हैं:

  • बायाँ हाथ (Left Hand): अपने बाएं हाथ को ‘ज्ञान मुद्रा’ में रखें। इसके लिए, अपने अंगूठे और तर्जनी (index finger) के सिरों को आपस में मिलाएं और बाकी तीन उंगलियों को सीधा रखें। इस हाथ को अपने बाएं घुटने पर हथेली को ऊपर की ओर रखते हुए आराम से छोड़ दें।
  • दायाँ हाथ (Right Hand): दाएं हाथ का उपयोग नथुनों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है, जिसे ‘प्राणायाम मुद्रा’ (या नासिकाग्र मुद्रा) कहते हैं। इसके लिए, अपनी तर्जनी और मध्यमा (middle finger) उंगलियों को मोड़कर हथेली की ओर लाएं। आप अपने अंगूठे का उपयोग दाएं नथुने को बंद करने के लिए और अपनी अनामिका (ring finger) का उपयोग बाएं नथुने को बंद करने के लिए करेंगे।
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अनुलोम-विलोम करने की सही विधि (Step-by-Step Guide)

  1. आरामदायक मुद्रा में बैठें, रीढ़ सीधी और आँखें बंद रखें।
  2. अपने दाएं हाथ को प्राणायाम मुद्रा में लाएं।
  3. अपने दाएं अंगूठे से अपने दाएं नथुने को धीरे से बंद करें।
  4. अब, अपने बाएं नथुने से धीरे-धीरे, गहरी और बिना आवाज़ किए सांस अंदर भरें (पूरक)।
  5. सांस भरने के बाद, अपनी अनामिका उंगली से बाएं नथुने को बंद करें और कुछ क्षण के लिए (यदि सहज हो) सांस को अंदर रोकें (कुम्भक)।
  6. अब, दाएं नथुने से अंगूठा हटाएं और धीरे-धीरे सांस को बाहर छोड़ें (रेचक)।
  7. सांस पूरी तरह छोड़ने के बाद, इसी दाएं नथुने से ही वापस गहरी सांस अंदर भरें।
  8. सांस भरने के बाद, दाएं नथुने को अंगूठे से फिर से बंद करें।
  9. बाएं नथुने से अपनी अनामिका उंगली हटाएं और धीरे-धीरे सांस को बाहर छोड़ें।
  10. यह एक पूरा चक्र (cycle) हुआ। इस प्रक्रिया को 5 से 10 मिनट तक दोहराएं।

सांस लेने और छोड़ने का सही तरीका (Correct Breathing Technique)

सांस लेने की प्रक्रिया बहुत सहज, धीमी और गहरी होनी चाहिए। सांस लेते या छोड़ते समय किसी भी प्रकार का ज़ोर या दबाव महसूस नहीं होना चाहिए। अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। एक अच्छा नियम यह है कि आपकी सांस छोड़ने (रेचक) की अवधि, सांस लेने (पूरक) की अवधि से दोगुनी होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आप 4 सेकंड में सांस लेते हैं, तो 8 सेकंड में सांस छोड़ने का प्रयास करें। शुरुआत में, आप सांस को अंदर रोकने (कुम्भक) वाले हिस्से को छोड़ सकते हैं और केवल सांस लेने और छोड़ने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

शुरुआत में कितनी देर तक करें? (Duration for Beginners)

यदि आप इस प्राणायाम की शुरुआत कर रहे हैं, तो इसे प्रतिदिन 5 मिनट से शुरू करना एक अच्छा लक्ष्य है। धीरे-धीरे, जैसे-जैसे आप सहज महसूस करते हैं, आप इसकी अवधि बढ़ाकर 10 से 15 मिनट तक कर सकते हैं। अभ्यास में निरंतरता (consistency) अवधि से अधिक महत्वपूर्ण है।

अनुलोम-विलोम के फायदे (Benefits of Anulom Vilom)

इसके नियमित अभ्यास से अनगिनत शारीरिक और मानसिक लाभ होते हैं:

  • मानसिक शांति: यह तनाव, चिंता, अवसाद और क्रोध को कम करके मन को शांत करता है।
  • फेफड़ों की मजबूती: यह फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और श्वसन तंत्र को मजबूत करता है।
  • रक्त परिसंचरण: यह शरीर में रक्त और ऑक्सीजन के प्रवाह को बेहतर बनाता है, जिससे हृदय स्वस्थ रहता है।
  • नाड़ी शोधन: यह शरीर के ऊर्जा चैनलों को शुद्ध करता है और शरीर में प्राण के प्रवाह को संतुलित करता है।
  • मस्तिष्क संतुलन: यह मस्तिष्क के दाएं और बाएं गोलार्ध (hemispheres) के बीच संतुलन बनाता है, जिससे एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ती है।
  • अन्य लाभ: यह सिरदर्द, माइग्रेन, साइनस और एलर्जी जैसी समस्याओं में भी राहत दिलाता है और नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है।
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करते समय ध्यान रखने योग्य सावधानियां (Precautions to Keep in Mind)

  • सांस कभी भी ज़ोर से या तेज़ी से न लें और न छोड़ें। अभ्यास बिल्कुल सहज होना चाहिए।
  • नथुनों पर उंगलियों से बहुत अधिक दबाव न डालें, बस हल्का सा स्पर्श करें।
  • पूरे अभ्यास के दौरान अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें; झुककर न बैठें।
  • यदि आपको चक्कर या घुटन महसूस हो, तो तुरंत रुक जाएं और सामान्य रूप से सांस लें।
  • अभ्यास हमेशा खाली पेट ही करें।

किन लोगों को अनुलोम-विलोम नहीं करना चाहिए? (Who Should Avoid It?)

वैसे तो यह प्राणायाम लगभग सभी के लिए सुरक्षित है, लेकिन कुछ स्थितियों में सावधानी बरतनी चाहिए:

  • जिन लोगों को गंभीर हृदय रोग या बहुत उच्च रक्तचाप (High BP) की समस्या है, उन्हें बिना सांस रोके (कुम्भक) और किसी विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ही इसे करना चाहिए।
  • यदि आपको सर्दी, जुकाम या बुखार है, तो उस समय इसका अभ्यास न करें।
  • जिनकी हाल ही में कोई पेट या हृदय की सर्जरी हुई हो, उन्हें डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही इसे शुरू करना चाहिए।

अभ्यास के दौरान होने वाली सामान्य गलतियाँ (Common Mistakes to Avoid)

  1. जल्दबाजी करना: सांसों को बहुत तेज़ी से लेना और छोड़ना।
  2. गलत मुद्रा: अभ्यास के दौरान कमर झुकाकर बैठना।
  3. ज़ोर लगाना: सांस भरते या छोड़ते समय चेहरे पर तनाव लाना या ज़ोर लगाना।
  4. मुंह से सांस लेना: कुछ लोग गलती से मुंह से सांस लेने लगते हैं, जो गलत है।
  5. गलत अनुपात: सांस लेने की तुलना में बहुत जल्दी सांस छोड़ देना (आदर्श रूप से सांस छोड़ना लंबा होना चाहिए)।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently Asked Questions)

कोई गंभीर समस्या तो नहीं होती?

नहीं, यदि अनुलोम-विलोम को सही तरीके, सहजता और सावधानियों के साथ किया जाए, तो इससे कोई गंभीर समस्या नहीं होती है। यह एक बहुत ही सुरक्षित अभ्यास है। समस्याएं तभी आती हैं जब इसे गलत तरीके से या ज़ोर-ज़बरदस्ती किया जाता है।

अनुलोम विलोम से सबसे मुख्य फायदा क्या होता है?

इसका सबसे मुख्य फायदा ‘नाड़ी शोधन’ और ‘मानसिक शांति’ है। यह शरीर के पूरे तंत्रिका तंत्र (nervous system) को संतुलित करता है, जिससे तनाव और चिंता तुरंत कम होती है और मन एकाग्र होता है। यह शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को भी प्रभावी ढंग से बढ़ाता है।

बूढ़ा व्यक्ति भी अनुलोम विलोम कर सकता है? 

जी हाँ, बिल्कुल। यह प्राणायाम वृद्ध लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है क्योंकि यह बहुत सौम्य है और इसे आसानी से किया जा सकता है। यदि वे जमीन पर नहीं बैठ सकते, तो वे कुर्सी पर बैठकर भी इसका पूरा लाभ उठा सकते हैं। यह उनके रक्तचाप को नियंत्रित करने, नींद में सुधार करने और मन को शांत रखने में बहुत मदद करता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

अनुलोम-विलोम एक शक्तिशाली प्राणायाम है जो शरीर और मन के बीच एक गहरा संतुलन स्थापित करता है। यह न केवल हमारे फेफड़ों को मजबूत करता है, बल्कि हमारे तंत्रिका तंत्र को शांत कर हमें तनाव-मुक्त जीवन जीने में मदद करता है। सही विधि, धैर्य और निरंतरता के साथ इसका दैनिक अभ्यास करने से स्वास्थ्य में अद्भुत सुधार देखा जा सकता है।

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