Bollywood Actor Dharmendra Paji Biography

नमस्ते! धर्मेंद्र जी (धरम सिंह देओल), जिन्हें बॉलीवुड का ‘ही-मैन’ भी कहा जाता है, की जीवनी और फिल्मी सफर इस प्रकार है:

🌟 धर्मेंद्र: जीवन और फ़िल्मी सफ़र

👶 प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि

  • जन्म: 8 दिसंबर 1935 को पंजाब के फगवाड़ा (उस समय पंजाब प्रांत में) में हुआ था।
  • पूरा नाम: धरम सिंह देओल।
  • परिवार: उनके पिता केवल किशन सिंह देओल एक स्कूल में हेडमास्टर थे।
  • शिक्षा: उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई फगवाड़ा के आर्य हाई स्कूल और रामगढ़िया स्कूल से की।
  • शुरुआत: अभिनय के प्रति उनका रुझान बचपन से ही था। अभिनेता बनने के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने मुंबई का रुख किया।

🎬 film industry starting

  • करियर की शुरुआत: धर्मेंद्र ने 1960 में फिल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से अभिनय की शुरुआत की।
  • संघर्ष: शुरुआती दौर में उन्हें अपनी पहली फिल्म की असफलता का सामना करना पड़ा और उन्होंने संघर्ष भी किया।
  • सफलता की ओर:
    • 1966: फिल्म ‘फूल और पत्थर’ उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, जिससे उन्हें एक लीड हीरो के रूप में पहचान मिली और उन्हें ‘ही-मैन’ की छवि मिली।
    • रोमांटिक हीरो से एक्शन स्टार: उन्होंने शुरुआती दौर में ‘बंदिनी’ (1963)‘अनपढ़’ (1962)‘अनुपमा’ (1966)‘मँझली दीदी’ (1967), और ‘सत्यकाम’ (1969) जैसी रोमांटिक और गंभीर फिल्मों में काम किया।
    • 1970 का दशक: इस दशक में वह ‘एक्शन हीरो’ के रूप में छा गए।

🎞️ फ़िल्में, हिट और फ्लॉप

धर्मेंद्र ने अपने 65 से अधिक वर्षों के करियर में 300 से अधिक फिल्मों में काम किया है।फिल्मों की संख्या (लगभग)प्रकार (एक स्रोत के अनुसार)ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर1ब्लॉकबस्टर4सुपरहिट27हिट33फ्लॉप/डिजास्टरलगभग 111 (76 फ्लॉप और 35 डिजास्टर)

उनकी कुछ अविस्मरणीय और सफल फ़िल्में:

  • शोले (1975): वीरू का किरदार आज भी यादगार है।
  • चुपके चुपके (1975): कॉमेडी में जबरदस्त प्रदर्शन।
  • सीता और गीता (1972)
  • धरम वीर (1977)
  • प्रतिज्ञा (1975)
  • यादों की बारात (1973)

💔 करियर के उतार-चढ़ाव

  • व्यक्तिगत जीवन:
    • पहली शादी: 1954 में प्रकाश कौर से हुई। (बेटे: सनी देओल, बॉबी देओल; बेटियाँ: विजेता, अजिता)
    • दूसरी शादी: 1980 में अभिनेत्री हेमा मालिनी से हुई। (बेटियाँ: ईशा देओल, अहाना देओल)
  • राजनीति: वह बीकानेर (राजस्थान) से भारतीय जनता पार्टी के 14वीं लोकसभा (2004-2009) के सांसद भी रहे हैं।
  • पुरस्कार: 2012 में उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
  • छोड़ी इंडस्ट्री? धर्मेंद्र ने औपचारिक रूप से फिल्म इंडस्ट्री कभी नहीं छोड़ी है। वह अपनी उम्र के 80 के दशक में भी सक्रिय हैं।
    • 90 के दशक में उनकी मुख्यधारा की उपस्थिति थोड़ी कम हुई।
    • 2007 में उन्होंने अपने दोनों बेटों के साथ फिल्म ‘अपने’ से सफल पुनरागमन किया।
    • हालिया फिल्में: ‘यमला पगला दीवाना’ सीरीज़, ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ (2023), और उनकी आने वाली फिल्में भी हैं, जैसे ‘इक्कीस’।
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धर्मेंद्र जी का सफर एक साधारण पृष्ठभूमि से आकर बॉलीवुड के ‘ही-मैन’ और एक्शन किंग बनने तक का रहा है, जो उनकी कड़ी मेहनत और लगन को दर्शाता है। वह एक अभिनेता, निर्माता और राजनेता के रूप में अपनी बहुमुखी प्रतिभा के लिए जाने जाते हैं।


धर्मेंद्र जी के फ़िल्मी सफ़र को तीन प्रमुख चरणों में बाँटा जा सकता है, जहाँ उन्होंने अलग-अलग तरह के किरदार निभाए।

🎬 धर्मेंद्र की फिल्मों का विस्तृत अवलोकन

धर्मेंद्र जी ने अपने करियर में लगभग 300 से अधिक फिल्मों में काम किया है। उनकी फिल्मों की मुख्य शैलियाँ (Genres) इस प्रकार हैं:

I. गंभीर और रोमांटिक चरण (1960s)

शुरुआती दौर में, धर्मेंद्र अपनी सादगी और गंभीर अभिनय के लिए जाने जाते थे।

  • ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ (1960): उनकी पहली फिल्म।
  • ‘बंदिनी’ (1963): बिमल रॉय निर्देशित यह फ़िल्म उनके करियर की शुरुआती गंभीर फिल्मों में से एक है। इसमें उनका किरदार काफी सराहा गया।
  • ‘हक़ीक़त’ (1964): चेतन आनंद की यह वॉर फ़िल्म भारतीय सिनेमा की क्लासिक मानी जाती है।
  • ‘फूल और पत्थर’ (1966): यह फ़िल्म उनके करियर का पहला बड़ा टर्निंग पॉइंट थी। इसमें उन्होंने एक एक्शन-ओरिएंटेड भूमिका निभाई और उन्हें ‘ही-मैन’ की उपाधि मिली।
  • ‘अनुपमा’ (1966) और ‘मँझली दीदी’ (1967): हृषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में बनी इन फिल्मों में उन्होंने शांत, संवेदनशील और रोमांटिक भूमिकाएँ निभाईं, जिससे उनकी अभिनय क्षमता का दायरा पता चलता है।
  • ‘सत्यकाम’ (1969): यह उनकी सबसे प्रशंसित फ़िल्मों में से एक है। इसमें उनके ईमानदार और आदर्शवादी किरदार के लिए उन्हें आलोचकों से खूब प्रशंसा मिली।

II. एक्शन और कॉमेडी चरण (1970s – 1980s)

यह वह दौर था जब धर्मेंद्र बॉलीवुड के शीर्ष सितारों में से एक थे और उन्होंने एक्शन तथा कॉमेडी दोनों में महारत हासिल की।

  • ‘सीता और गीता’ (1972): हेमा मालिनी के साथ उनकी एक सफल रोमांटिक कॉमेडी।
  • ‘यादों की बारात’ (1973): एक मल्टी-स्टारर हिट, जिसमें उनके एक्शन और भाई के प्रति प्रेम को दर्शाया गया।
  • ‘शोले’ (1975): भारतीय सिनेमा की सबसे बड़ी क्लासिक फ़िल्म। “वीरू” का उनका किरदार, बसंती से उनका रोमांस और जय (अमिताभ बच्चन) के साथ उनकी केमिस्ट्री आज भी आइकॉनिक है।
  • ‘चुपके चुपके’ (1975): एक शुद्ध कॉमेडी फ़िल्म, जिसमें उन्होंने वनस्पति-विज्ञानी के रूप में अपनी टाइमिंग से दर्शकों को खूब हँसाया।
  • एक्शन फ़िल्में: ‘चरस’ (1976)‘धरम वीर’ (1977)‘प्रतिज्ञा’ (1975), और ‘राजपूत’ (1982) जैसी फ़िल्मों ने उनकी एक्शन स्टार की छवि को मज़बूत किया।
  • किस्मत कनेक्शन (हेमा मालिनी के साथ): इस दौर में उन्होंने हेमा मालिनी के साथ कई सफल फ़िल्में दीं, जैसे जुगनू, प्रतिज्ञा, ड्रीम गर्ल, आज़ाद
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III. पुनरागमन और पारिवारिक फ़िल्में (2000s – वर्तमान)

2000 के दशक में, उन्होंने अपने बेटों, सनी देओल और बॉबी देओल, के साथ फ़िल्मों में वापसी की।

  • ‘अपने’ (2007): यह पहली फ़िल्म थी जिसमें तीनों देओल एक साथ आए। यह फ़िल्म हिट रही और पारिवारिक भावनाओं पर आधारित थी।
  • ‘यमला पगला दीवाना’ सीरीज़ (2011, 2013, 2018): यह सीरीज़ कॉमेडी और एक्शन का मिश्रण थी, जिसमें उन्होंने अपने बेटों के साथ स्क्रीन शेयर की।
  • ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ (2023): एक कैमियो रोल में उन्होंने फिर से रोमांटिक छवि दिखाई और दर्शकों की प्रशंसा पाई।

धर्मेंद्र जी की फ़िल्मों की सबसे बड़ी ख़ासियत उनकी बहुमुखी प्रतिभा रही है—वे एक एक्शन हीरो होने के साथ-साथ एक शानदार रोमांटिक और कॉमेडी अभिनेता भी थे।

‘शोले’ (Sholay) फ़िल्म के बारे में बात करते हैं!

🔫 ‘शोले’ (1975): भारतीय सिनेमा की अविस्मरणीय गाथा

‘शोले’ को भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण और आइकॉनिक फिल्मों में से एक माना जाता है। इसे अक्सर बॉलीवुड का ‘गेम चेंजर’ कहा जाता है।

📜 फ़िल्म के बारे में मुख्य जानकारी

विशेषताविवरणरिलीज़ वर्ष15 अगस्त 1975निर्देशकरमेश सिप्पीनिर्माताजी.पी. सिप्पीपटकथा और संवादसलीम-जावेद (सलीम खान और जावेद अख़्तर)मुख्य कलाकारधर्मेंद्र (वीरू), अमिताभ बच्चन (जय), हेमा मालिनी (बसंती), जया भादुड़ी (राधा), संजीव कुमार (ठाकुर), अमजद खान (गब्बर सिंह)।शैलीडकैत पश्चिमी (Dacoit Western) / एक्शन-एडवेंचर

🤠 धर्मेंद्र का किरदार: वीरू

धर्मेंद्र ने इस फ़िल्म में वीरू का किरदार निभाया, जो जय (अमिताभ बच्चन) के साथ एक बेफिक्र, मस्तमौला और शरारती छोटा-मोटा अपराधी है।

  • किरदार की विशेषता: वीरू एक मिलनसार, दिलदार और ज़िंदादिल इंसान है, जो अपनी दोस्त जय से बहुत प्यार करता है। वह थोड़ा भावुक भी है, खासकर जब बात पैसों या बसंती की आती है।
  • आकर्षण: उनकी बसंती (हेमा मालिनी) के साथ छेड़छाड़ और उनका रोमांस फ़िल्म की कॉमेडी का मुख्य आकर्षण था।
  • यादगार सीन:
    • पानी की टंकी पर चढ़कर आत्महत्या की धमकी देना, ताकि बसंती शादी के लिए ‘हाँ’ कह दे।
    • गब्बर के आदमियों से लड़ाई के दौरान उनका एक्शन।
    • जय के साथ उनकी मस्ती भरी नोक-झोंक और दोस्ती।

✨ ‘शोले’ की विरासत

  1. बॉक्स ऑफिस पर प्रदर्शन: शुरुआत में, यह फ़िल्म धीमी रही थी, लेकिन फिर इसने ऐसी गति पकड़ी कि यह भारतीय सिनेमा की सबसे लम्बी चलने वाली फ़िल्मों में से एक बन गई (मुंबई के मिनर्वा थिएटर में 5 साल तक चली)।
  2. गब्बर सिंह: अमजद खान द्वारा निभाया गया विलेन ‘गब्बर सिंह’ का किरदार आज भी बॉलीवुड के इतिहास का सबसे बड़ा और सबसे मशहूर विलेन माना जाता है। उनके संवाद— “कितने आदमी थे?”, “तेरा क्या होगा, कालिया?”— आज भी लोकप्रिय हैं।
  3. संवाद और गीत: सलीम-जावेद के संवाद, जैसे “बस,ंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना!” या “यह हाथ नहीं, फाँसी का फंदा है”, अमर हो गए।
  4. तकनीकी उत्कृष्टता: उस समय के हिसाब से इसका एक्शन, सिनेमैटोग्राफी और बड़े पैमाने का फिल्मांकन अभूतपूर्व था।

‘शोले’ महज़ एक फ़िल्म नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक घटना है जिसने दोस्ती, बदला, कॉमेडी और एक्शन को एक साथ पेश करके दर्शकों पर अमिट छाप छोड़ी।

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