Raksha Bandhan Kyo Manaya Jata Hai जानिए
दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम बात करने वाले हैं कि रक्षाबंधन का त्यौहार क्यों मनाया जाता है जैसे कि आप सब जानते ही हैं अभी रक्षाबंधन आने वाली है तो हम आपको स्पष्ट रूप से समझाएंगे कि यह तो सबसे पहले किसने बनाया था और इसको क्यों मनाया जाता है
रक्षा बंधन भाई-बहन का प्रतीक माना जाता है। रक्षा बंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को जताता है और घर में खुशिया लेकर आता है। इसके अलावा यह त्योहार भाईयों को याद दिलाता है कि उन्हें अपनी बहनों की रक्षा करनी चाहिए। रक्षा बंधन का त्योहार भाई को अपनी बहन के प्रति उसका कर्तव्य याद दिलाता है।
दोस्तो रक्षाबंधन के त्यौहार का इतिहास हमें महाभारत काल से मिलता है भगवान कृष्ण की सूरत देवी नाम की एक चाची थी उसने शिशुपाल नामक एक विकृत बच्चे को जन्म दिया था उनको बड़ों से यह पता चलता है कि जिसके स्पार्स से शिशुपाल ठीक हुआ उसी के हाथ से शिशुपाल की मृत्यु भी होगी 1 दिन श्री कृष्ण अपनी चाची को मिलने आए थे और जैसे ही उन्होंने श्रीदेवी ने अपने बच्चे को कृष्ण के हाथ में दिया वह एकदम सुंदर हो गया तब श्रीदेवी अपने बच्चे मैं हुए बदलाव को देखकर खुश हो गई पर उसकी मौत श्री कृष्ण के हाथों से होगी
इसको को सुनकर वह विचलित हो गई गया भगवान श्री कृष्ण से प्रार्थना करने लगी कि भले ही शिशुपाल कितनी ही गलती कर दे पर उसे भगवान श्री कृष्ण के हाथों से सजा नहीं मिलनी चाहिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी चाची को वचन दिया की मैं उसकी सारी गलती माफ कर दूंगा परंतु अगर उसने 100 गलती से अधिक बार गलती करी तो मैं उसे माफ नहीं करूंगा शिशुपाल बड़ा होकर जेडी नामक राज्य का राजा भी बन गया और वह बहुत क्रूर था और श्री कृष्ण का रिश्तेदार भी शिशुपाल अपनी क्रूरता के चलते अपने राज्य को भी बहुत परेशान करता था और बार-बार श्री कृष्ण का भी अपमान किया करता था परंतु एक बार तो हद ही हो गई जब शिशुपाल ने भगवान श्री कृष्ण का भरी सभा में अपमान कर दिया और बहुत निंदा की है
परंतु चले इस बार 100 गलतियों का आंकड़ा भी पार कर दिया था तुरंत ही श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र शिशुपाल के ऊपर प्रहार कर दिया भगवान श्री कृष्ण की अनेक चुनौतियों के बाद भी शिशुपाल ने अपने गुण नहीं बदले जिसके कारण अंत में उसे अपने प्राण त्यागने पड़े भगवान श्री कृष्ण जब क्रोध में शिशुपाल के ऊपर सुदर्शन चक्र छोड़ रहे थे तो उनकी उंगली में भी लग गई थी जिससे उनकी उंगली में से रक्त बहने लगा था इस दृश्य को देखकर वहां पर खड़े सभी लोग श्री कृष्ण की उंगली में बांधने के लिए इधर-उधर भागने लगे परंतु वहां पर खड़ी द्रोपती ने बिना कुछ सोचे समझे अपनी साड़ी के पल्लू को फाड़कर भगवान श्री कृष्ण के उंगली में बांधने लगी
जिससे भगवान श्री कृष्ण की उंगली में से बहता हुआ वक्त रुक गया जिसके बाद भगवान श्री कृष्ण के मुंह से एक ही शब्द निकला शुक्रिया मेरी प्यारी बहना तुमने मेरे दुख में मेरा साथ दिया है तो मैं भी तुम्हारे दुख में तुम्हारा साथ दूंगा यह कहकर भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी को उनकी रक्षा करने का आश्वासन दिया था और इस घटना से रक्षाबंधन त्यौहार का प्रारंभ हुआ था
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